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Children Story

जंगल का रहस्यमयी खजाना | The Mysterious Treasure of the Jungle

bachcho ki kahani

कहानी: जंगल का रहस्यमयी खजाना (Bachcho Ki Kahani)

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में, जो घने जंगल के किनारे बसा था, चार दोस्त रहते थे—अनु, रवि, मीरा और छोटू। ये चारों दोस्त हमेशा एक साथ खेलते, हँसते और नई-नई साहसिक योजनाएँ बनाते। गाँव के लोग अक्सर जंगल के बारे में डरावनी कहानियाँ सुनाते थे, लेकिन इन चारों दोस्तों के लिए जंगल एक रहस्यमयी दुनिया थी, जो रोमांच से भरी थी। एक दिन, गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति, बाबा भैरवनाथ, ने बच्चों को एक पुरानी किताब दिखाई। उस किताब में एक नक्शे का जिक्र था, जो जंगल के बीच छिपे एक प्राचीन खजाने की ओर इशारा करता था। बाबा ने बताया कि यह खजाना सदियों से जंगल में कहीं छिपा है, लेकिन उसे पाने का रास्ता खतरों से भरा है।

“क्या यह सच है, बाबा?” अनु ने उत्साह से पूछा।
“हाँ, मेरी बच्ची,” बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा, “लेकिन खजाने तक पहुँचने के लिए साहस, बुद्धि और दोस्ती की जरूरत होगी।”


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बस, यहीं से शुरू हुई हमारी बच्चों की कहानी (bachcho ki kahani)। चारों दोस्तों ने फैसला किया कि वे इस खजाने को ढूँढने जंगल में जाएँगे। अगली सुबह, सूरज उगने से पहले, वे अपने छोटे-छोटे बैग में रोटी, पानी की बोतल और एक मशाल लेकर जंगल की ओर निकल पड़े। नक्शा पुराना और फटा हुआ था, लेकिन उसमें कुछ निशान और संकेत थे, जो रास्ता दिखाते थे।

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जंगल में कदम रखते ही हवा में एक अजीब सी ठंडक थी। पेड़ इतने घने थे कि सूरज की रोशनी भी जमीन तक मुश्किल से पहुँच पाती थी। रवि, जो सबसे नन्हा लेकिन सबसे नटखट था, ने कहा, “यह जंगल तो जादुई लगता है! क्या पता, यहाँ भूत भी हों!” मीरा ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, “अरे, भूत-वूत कुछ नहीं होता, बस अपनी बच्चों की कहानी (bachcho ki kahani) को और रोमांचक बनाना है।”

पहला संकेत नक्शे में एक विशाल बरगद के पेड़ की ओर इशारा करता था। चारों दोस्त उस पेड़ तक पहुँचे, जो इतना बड़ा था कि उसकी जड़ें किसी किले की दीवारों जैसी लगती थीं। पेड़ के नीचे एक पुराना पत्थर था, जिस पर कुछ प्राचीन अक्षर लिखे थे। अनु, जो पढ़ने में तेज थी, ने अक्षरों को पढ़ने की कोशिश की। “यह लिखा है—’साहस का रास्ता चुनो, डर का नहीं।'”

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जंगल का रहस्यमयी खजाना | The Mysterious Treasure of the Jungle 3

तभी, पेड़ की जड़ों के बीच से एक गहरा गड्ढा दिखाई दिया। छोटू ने उत्साह में उसमें झाँकने की कोशिश की, लेकिन अचानक एक जोरदार आवाज आई, जैसे कोई भारी चीज जमीन पर गिरी हो। दोस्त डर गए, लेकिन अनु ने कहा, “हमें डरना नहीं है। यह हमारी बच्चों की कहानी (Children Story) का पहला इम्तिहान है।”

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वे गड्ढे में उतरे। अंदर एक लंबी, अंधेरी सुरंग थी। मशाल की रोशनी में दीवारों पर चमकते हुए चित्र दिख रहे थे—जादुई जानवरों, उड़ते हुए पक्षियों और एक सुनहरे खजाने की तस्वीरें। सुरंग के अंत में एक बड़ा सा दरवाजा था, जिस पर एक पहेली लिखी थी:
“मैं हूँ वह जो रात में चमकता,
दिन में छिप जाता,
मेरे बिना नक्शा अधूरा,
मुझे ढूँढो, तो खजाना पूरा।”

चारों दोस्त सोच में पड़ गए। “यह क्या हो सकता है?” मीरा ने कहा। रवि ने अचानक चिल्लाकर कहा, “तारा! यह तारा है! रात में चमकता है, दिन में छिप जाता है।” सबने उसकी बात मानी और दरवाजे पर एक तारे के आकार का छेद ढूँढा। छोटू ने अपनी जेब से एक चमकता हुआ पत्थर निकाला, जो उसने रास्ते में पाया था। उसने उसे छेद में फिट किया, और दरवाजा खुल गया।


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दरवाजे के पीछे एक विशाल गुफा थी, जिसके बीच में एक सुनहरा संदूक चमक रहा था। दोस्तों की आँखें चमक उठीं। लेकिन जैसे ही वे संदूक की ओर बढ़े, गुफा में अचानक हलचल मच गई। दीवारों से अजीब सी छायाएँ उठने लगीं। ये छायाएँ जादुई प्राणियों की तरह लग रही थीं, जो खजाने की रक्षा कर रही थीं।

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“यह क्या है?” छोटू डरते हुए बोला।
“शांत रहो,” अनु ने कहा। “हमें अपनी बच्चों की कहानी (bachcho ki kahani) में साहस दिखाना होगा।”

तभी एक छाया ने मानव रूप लिया और बोली, “तुमने यहाँ तक का रास्ता तय किया, लेकिन खजाना केवल वही ले सकता है, जिसका दिल सच्चा हो।” उसने एक सवाल पूछा, “तुम खजाने का क्या करोगे?”

चारों दोस्त एक-दूसरे की ओर देखने लगे। मीरा ने कहा, “हम यह खजाना गाँव वालों के लिए इस्तेमाल करेंगे। स्कूल बनाएँगे, गरीबों की मदद करेंगे।” बाकी दोस्तों ने भी सहमति जताई। छाया मुस्कुराई और गायब हो गई। संदूक अपने आप खुल गया।

अंदर सोने-चाँदी के सिक्के, हीरे-जवाहरात और एक प्राचीन किताब थी। किताब में लिखा था कि असली खजाना दोस्ती और साहस है। चारों दोस्तों ने खजाना गाँव लाकर बाबा भैरवनाथ को सौंप दिया। गाँव में स्कूल बना, बच्चों के लिए खेल का मैदान बना, और सभी खुशहाल हो गए।

इस बच्चों की कहानी (bachcho ki kahani) से हमें यह सीख मिलती है कि साहस, दोस्ती और सच्चाई से कोई भी मुश्किल रास्ता आसान हो सकता है। चारों दोस्त आज भी गाँव में अपनी इस रोमांचक यात्रा की कहानी सुनाते हैं, और बच्चे उनकी बच्चों की कहानी (bachcho ki kahani) सुनकर रोमांचित हो जाते हैं।


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