शहर के बाहरी इलाके में, एक छोटा सा गाँव था जिसका नाम था “रंगीनपुर”। इस गाँव के सबसे किनारे पर एक घना और रहस्यमयी जंगल था, जिसे लोग “जादुई जंगल” कहते थे। इस जंगल के बारे में बहुत सी कहानियाँ प्रचलित थीं, जिनमें से एक यह थी कि इस जंगल में जादुई जीव रहते हैं और जो भी वहाँ जाता है, उसे कभी वापस नहीं देखा जाता।
लेकिन रंगीनपुर के चार बच्चे – अंश, नेहा, राहुल, और तान्या – इन कहानियों पर विश्वास नहीं करते थे। वे बहुत ही साहसी और जिज्ञासु थे। एक दिन, उन्होंने फैसला किया कि वे इस जादुई जंगल के रहस्य को सुलझाएंगे।
सुबह-सुबह, वे चारों अपने-अपने बैग में खाने-पीने का सामान और टॉर्च लेकर जंगल की ओर चल दिए। जब वे जंगल के प्रवेश द्वार पर पहुँचे, तो उन्हें एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई। जंगल के पेड़ बहुत ऊँचे और घने थे, और उनकी पत्तियाँ चमक रही थीं, जैसे कि उन पर जादू किया गया हो।
जैसे ही वे जंगल में अंदर गए, उन्हें चारों ओर से पक्षियों की अजीब आवाजें सुनाई देने लगीं। वे चारों बहुत ही उत्साहित थे, परंतु थोड़े डरे हुए भी थे। चलते-चलते वे एक बड़े पेड़ के पास पहुँचे, जिसकी जड़ें बहुत ही अजीब थीं। राहुल ने ध्यान दिया कि उस पेड़ की जड़ों के बीच में एक छोटी सी दरवाजा है।
“चलो, देखते हैं कि इसके अंदर क्या है,” अंश ने कहा।
वे चारों दरवाजे के पास गए और उसे खोलने की कोशिश करने लगे। जैसे ही दरवाजा खुला, एक चमकदार रोशनी निकली और वे चारों एक अजीब सी दुनिया में पहुँच गए। यह दुनिया बहुत ही सुंदर थी, लेकिन उसमें कुछ अजीब था। वहाँ के पेड़ और पौधे सब चमक रहे थे, और हवा में एक मीठी सुगंध थी।
तभी, उनके सामने एक छोटा सा जीव आया, जो बिल्कुल एक परियों के जैसा दिखता था। उसने कहा, “मैं हूँ टीना, इस जादुई जंगल की रक्षक। तुम लोग यहाँ कैसे आए?”
नेहा ने हिम्मत करके कहा, “हम इस जंगल के रहस्य को जानने आए हैं।”
टीना ने मुस्कराते हुए कहा, “अगर तुम इस जंगल के रहस्य को जानना चाहते हो, तो तुम्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अगर तुम सफल हुए, तो तुम्हें यहाँ का सबसे बड़ा खजाना मिलेगा।”
टीना ने उन्हें पहले चुनौती के बारे में बताया। उन्हें एक खास फूल ढूँढना था, जो सिर्फ रात में ही खिलता है और उसकी खुशबू से ही रास्ता दिखाई देता है। वे चारों उस फूल की तलाश में निकल पड़े। चलते-चलते उन्हें कई अजीब जीव और पेड़-पौधे मिले, लेकिन वे हार नहीं माने।
आखिरकार, रात होते-होते, उन्हें वह खास फूल मिल गया। उसकी खुशबू से एक रास्ता दिखाई देने लगा, जो उन्हें एक गुफा की ओर ले गया। गुफा के अंदर बहुत ही अंधेरा था, लेकिन उनके पास टॉर्च थी।
गुफा के अंदर पहुँचकर, उन्होंने देखा कि वहाँ एक बड़ा सा दरवाजा है, जिस पर एक पहेली लिखी हुई थी। पहेली को हल किए बिना दरवाजा नहीं खुल सकता था। पहेली थी: “मैं बिना पंखों के उड़ सकता हूँ, बिना आँखों के देख सकता हूँ, मैं बिना पैरों के दौड़ सकता हूँ, बताओ मैं कौन हूँ?”
वे चारों सोचने लगे। आखिरकार, तान्या ने कहा, “ये हवा है!”
जैसे ही तान्या ने “हवा” कहा, दरवाजा खुल गया और वे चारों अंदर चले गए। अंदर एक बड़ा सा कमरा था, जिसमें सोने-चाँदी के खजाने भरे हुए थे। लेकिन वहाँ एक और दरवाजा था, जो उन्हें और भी अंदर की ओर ले गया।
अंदर जाकर, उन्होंने देखा कि वहाँ एक बड़ा सा पेड़ है, जिसके नीचे एक बूढ़ा आदमी बैठा हुआ है। उसने कहा, “मैं हूँ इस जंगल का रक्षक। तुमने मेरी सभी चुनौतियों को पार कर लिया है, इसलिए अब तुम्हें इस जंगल का सबसे बड़ा रहस्य बताता हूँ।”
उस बूढ़े आदमी ने उन्हें बताया कि यह जंगल एक जादुई दुनिया है, जो सिर्फ उन लोगों के लिए खुलती है, जो दिल से साहसी और सच्चे होते हैं। यहाँ के सभी जीव और पेड़-पौधे जादुई हैं, और यह जंगल हमेशा उन्हें सुरक्षित रखता है।
अंश, नेहा, राहुल, और तान्या ने उस बूढ़े आदमी का धन्यवाद किया और वापस अपने गाँव लौट आए। उन्होंने गाँव के लोगों को अपनी यात्रा के बारे में बताया, लेकिन कोई भी उनकी बातों पर विश्वास नहीं कर सका। लेकिन उन्होंने जान लिया था कि जादुई जंगल का रहस्य क्या है, और यह उनकी सबसे बड़ी जीत थी।