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रक्षा बंधन का अद्भुत बंधन

The Amazing Bond of Raksha Bandhan

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक भाई-बहन रहते थे जिनका नाम रोहन और राधा था। रोहन बड़ा भाई था और राधा उसकी प्यारी छोटी बहन। दोनों का रिश्ता बहुत ही मजबूत और प्रेमपूर्ण था। राधा को हर साल रक्षा बंधन का इंतजार रहता था, जब वह अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती और रोहन उसे वचन देता कि वह हमेशा उसकी रक्षा करेगा।

इस साल, रक्षा बंधन के कुछ दिन पहले, गाँव में एक अजीब घटना घटी। गाँव के पास वाले जंगल में एक खतरनाक डाकू का समूह छिपा हुआ था। वे लोग गाँव में लूटपाट करने की योजना बना रहे थे। गाँववाले बहुत डर गए और उन्होंने गाँव की सुरक्षा के लिए योजना बनानी शुरू की।

रोहन, जो हमेशा अपने गाँव के लिए कुछ करने को तैयार रहता था, ने गाँववालों के साथ मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने रात में पहरा देने का निर्णय लिया ताकि डाकू गाँव में प्रवेश न कर सकें। राधा को अपने भाई की चिंता थी, लेकिन उसने भी अपने भाई का हौसला बढ़ाया।

रक्षा बंधन का दिन आया, और राधा ने रोहन की कलाई पर राखी बाँधी। उसने अपने भाई से कहा, “भैया, तुम हमेशा मेरी रक्षा करते हो। इस बार मैं तुम्हारी रक्षा के लिए प्रार्थना करूंगी।”

रात को, जब रोहन और गाँववाले पहरा दे रहे थे, तभी डाकुओं का समूह गाँव में घुसने की कोशिश करने लगा। रोहन ने साहस दिखाते हुए डाकुओं का सामना किया, लेकिन डाकू अधिक संख्या में थे और वे हथियारों से लैस थे। रोहन और गाँववाले मुश्किल में पड़ गए।

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तभी राधा को एक विचार आया। उसने अपने घर की छत पर चढ़कर ढोल बजाना शुरू कर दिया। ढोल की आवाज सुनकर गाँव के और लोग जाग गए और वे भी रोहन की मदद के लिए दौड़ पड़े। गाँववालों की एकजुटता और साहस देखकर डाकू घबरा गए और भाग खड़े हुए।

गाँववालों ने राधा की तारीफ की और रोहन ने अपनी बहन को गले से लगा लिया। उसने कहा, “आज तुमने सच में मेरी रक्षा की, बहन।”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “भैया, यह राखी का बंधन है। हम दोनों एक-दूसरे की रक्षा करेंगे।”

इस घटना के बाद, गाँव में रक्षा बंधन का त्योहार और भी महत्वपूर्ण हो गया। अब यह सिर्फ भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक नहीं था, बल्कि एक-दूसरे की सुरक्षा और साहस का भी प्रतीक बन गया था। रोहन और राधा ने साबित कर दिया कि जब भाई-बहन एकजुट होते हैं, तो कोई भी मुश्किल उन्हें हरा नहीं सकती।

रक्षा बंधन के कुछ महीने बाद, गाँव में शांति और खुशी लौट आई थी। रोहन और राधा ने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया। रोहन ने गाँव के बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया ताकि वे भी शिक्षित हो सकें और गाँव की प्रगति में योगदान दे सकें। राधा ने भी अपनी कला और संगीत में रुचि दिखाई और गाँव के उत्सवों में भाग लेने लगी।

एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला आयोजित किया गया। मेले में हर कोई खुश था और उत्साह से भरा हुआ था। राधा ने अपनी कला का प्रदर्शन किया और रोहन ने बच्चों को कहानियाँ सुनाईं। मेले में सभी लोग एक-दूसरे का साथ देकर खुशियाँ बाँट रहे थे।

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गाँव के सरपंच ने रोहन और राधा को मंच पर बुलाया और उनकी बहादुरी और एकजुटता के लिए उन्हें सम्मानित किया। सरपंच ने कहा, “रोहन और राधा ने हमें सिखाया है कि सच्चा प्रेम और एकजुटता किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं।”

यह सुनकर गाँववाले तालियाँ बजाने लगे और रोहन और राधा को गर्व से देखा। उन्होंने अपने गाँव को एक नई दिशा दी थी और उनके प्रयासों से गाँव में शांति और समृद्धि आई थी।

रक्षा बंधन का त्योहार अब सिर्फ एक दिन का नहीं रहा, बल्कि यह पूरे साल भर मनाया जाने वाला एक अनोखा बंधन बन गया। रोहन और राधा की कहानी ने गाँववालों को यह सिखाया कि भाई-बहन का रिश्ता सबसे मजबूत और अनमोल होता है।

और इस तरह, रोहन और राधा ने अपने प्रेम और साहस से गाँव को एक नई दिशा दी और रक्षा बंधन के अद्भुत बंधन को हमेशा के लिए यादगार बना दिया।

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