एक छोटे से गाँव में, एक लड़का रहता था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत ही चतुर और होशियार था, लेकिन उसमें एक कमी थी – वह कभी-कभी झूठ बोल देता था। उसके माता-पिता ने उसे कई बार समझाया कि झूठ बोलना गलत है, लेकिन अर्जुन ने उनकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
एक दिन, गाँव में एक बहुत बड़ा मेला लगा। अर्जुन ने मेले में जाने का फैसला किया और अपने दोस्तों के साथ वहाँ पहुँच गया। मेले में बहुत सारी दुकानें, झूले और खाने-पीने की चीजें थीं। अर्जुन और उसके दोस्त बहुत खुश थे और उन्होंने हर चीज का आनंद लिया।
मेले में एक दुकान पर, अर्जुन ने एक सुंदर सी लालटेन देखी। लालटेन चमक रही थी और बहुत ही आकर्षक थी। अर्जुन ने सोचा कि उसे यह लालटेन चाहिए, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। उसने दुकान वाले से कहा, “मेरे पिताजी ने मुझे यह लालटेन खरीदने के लिए पैसे दिए हैं, लेकिन वे मेरे पास नहीं हैं। क्या आप मुझे यह लालटेन उधार दे सकते हैं? मैं कल पैसे दे दूँगा।”
दुकान वाले ने अर्जुन की बात मान ली और उसे लालटेन दे दी। अर्जुन बहुत खुश था और उसने लालटेन को अपने दोस्तों को दिखाया। लेकिन जब वह घर पहुँचा, तो उसे अपने झूठ पर पछतावा हुआ। उसने सोचा कि उसने गलत किया और उसे सच्चाई का सामना करना चाहिए।
अगले दिन, अर्जुन ने अपने माता-पिता को सारी बात बताई और उनसे मदद मांगी। उसके माता-पिता ने उसकी ईमानदारी की प्रशंसा की और उसे पैसे दिए ताकि वह दुकान वाले का उधार चुका सके। अर्जुन दुकान पर गया और दुकान वाले से माफी मांगी।
दुकान वाले ने कहा, “मैंने तुम्हारी सच्चाई और ईमानदारी देखी है। यह लालटेन अब तुम्हारी है। इसे अपने पास रखो और हमेशा सच्चाई का पालन करो।”
अर्जुन ने लालटेन को धन्यवाद के साथ स्वीकार किया और अपने दोस्तों को अपनी गलती और सच्चाई की ताकत के बारे में बताया। उसने अपने दोस्तों से कहा, “सच्चाई का प्रकाश अंधेरे को भी मिटा सकता है। हमें हमेशा सच्चाई का पालन करना चाहिए।”
उस दिन से, अर्जुन ने कभी झूठ नहीं बोला और हमेशा सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चला। गाँव के लोगों ने उसकी ईमानदारी की तारीफ की और उसे एक आदर्श के रूप में देखा।
अर्जुन की यह कहानी गाँव में मशहूर हो गई और उसने सभी को सिखाया कि सच्चाई और ईमानदारी ही सबसे बड़ी ताकत है। सच्चाई का प्रकाश हमेशा चमकता है और अंधेरे को मिटा देता है।