अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित एक प्राचीन महल की कहानी है। इस महल का नाम था “चन्द्रमहल” और यह अपने अद्वितीय वास्तुकला और अद्भुत कला के कारण प्रसिद्ध था। लेकिन सालों से यह भी मशहूर था अपनी भूतिया कहानियों के लिए।
इस महल का निर्माण राजा वीरप्रताप सिंह ने करवाया था, जो अपने समय के बहुत ही वीर और बहादुर राजा थे। महल का वास्तुकला अद्वितीय था और इसकी सुंदरता चारों ओर प्रसिद्ध थी। लेकिन एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने इस महल को अभिशापित कर दिया।
राजा वीरप्रताप सिंह की बेटी, राजकुमारी मृदुला, अपनी सुंदरता और ज्ञान के कारण प्रसिद्ध थी। वह बहुत ही दयालु और स्नेही थी और अपने पिता के लिए प्रेरणा स्रोत थी। लेकिन एक दिन, एक पड़ोसी राज्य के राजा, जो अधर्मी और ईर्ष्यालु था, ने चन्द्रमहल पर आक्रमण करने की योजना बनाई।
रात का समय था, और महल में उत्सव का माहौल था। राजा वीरप्रताप सिंह ने अपनी बेटी की बुद्धिमानी और साहस को देखकर उसे राजमहल के सुरक्षा का भार सौंप दिया था। उसी रात, आक्रमणकारी राजा ने चुपके से महल में प्रवेश किया और एक भीषण युद्ध छिड़ गया।
राजकुमारी मृदुला ने अपनी वीरता और साहस से धूर्त राजा का सामना किया। लेकिन दुर्भाग्यवश, एक धोखेबाज सैनिक ने मृदुला को धोखा देकर उसे मार डाला। उसकी मौत के बाद, कहा जाता है कि उसके आत्मा ने महल को कभी नहीं छोड़ा। उसकी आत्मा महल के हर कोने में महसूस की जाती थी।
महलों में रात होते ही राजा वीरप्रताप सिंह ने देखा कि उनकी बेटी की आत्मा रोते हुए महल के गलियारों में घूमती थी। कई सेवकों ने भी बताया कि उन्होंने मृदुला को महल में देखा है। लोगों की डर से महल धीरे-धीरे खाली हो गया और वीरान हो गया।
सालों बाद, एक युवा पुरातत्वविद्, जिसका नाम था अर्जन, चन्द्रमहल की कहानियों से बहुत प्रभावित हुआ। अर्जन बहुत ही साहसी और जिज्ञासु था और उसने ठान लिया कि वह इस रहस्य को सुलझाकर रहेगा।
अर्जन ने महल का दौरा किया और वहाँ की हर कोने को बारीकी से देखा। उसे महल की सुंदरता और गरिमा से मोहित हो गया। लेकिन रात होते ही उसे अद्भुत और रहस्यमयी आवाजें सुनाई देने लगीं। अर्जन निडर था, उसने उन आवाजों का पीछा करना शुरू किया।
रात के बीच, अर्जन ने राजकुमारी मृदुला की आत्मा को देखा। वह आत्मा ध्वस्त और पीड़ित दिखाई दी। अर्जन ने उसके साथ बातचीत करने की कोशिश की और उसे निडरता से आश्वासन दिया कि वह उसकी मदद करेगा।
मृदुला की आत्मा ने अर्जन को बताया कि उसकी आत्मा तभी शांत होगी जब अधर्मी राजा और उसके सैनिकों को उनकी करनी का अहसास हो जाएगा। अर्जन ने यह सबक लिया और उसने इतिहास के पन्नों को खंगाला।
अर्जन ने बहुत खोजबीन की और आखिरकार एक दिन, उसने उस अधर्मी राजा के वंशजों के भयावह कर्मों का पर्दाफाश किया। वह सबूत लेकर चन्द्रमहल लौटा और वहाँ एक बड़ा अनुष्ठान कर, मृदुला की आत्मा को शांति दी।
उस घटना के बाद, चन्द्रमहल की भयंकर कहानियाँ समाप्त हो गयीं। लोगों ने फिर से महल में आना-जाना शुरू किया और उसकी सुंदरता का आनंद लिया। अर्जन की बहादुरी और असाधारण कथा ने उसे एक महानायक बना दिया।
आज भी, चन्द्रमहल अपनी रहस्यमयी महिमा और अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन लोगों को मृदुला की आत्मा का साया अब कभी महसूस नहीं होता।