सीमा, जो चालीस वर्षीय एक सुंदर और जीवंत महिला थीं, अक्सर अपने भांजे राहुल पर विशेष ध्यान देती थीं, जो कि मात्र बीस वर्ष का था। राहुल, एक युवा और हैंडसम लड़का, अपने कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ एक्सट्रा-करीकुलर गतिविधियों में भी बहुत सक्रिय था। सीमा उसे मानो अपना स्वप्न पुरुष समझती थीं।
उनकी इस आकर्षण की कहानी एक दिन से शुरू हुई, जब राहुल ने अपनी चाची की मदद के लिए उनके घर का रास्ता तय किया। सीमा ने उस दिन कोई मौका नहीं छोड़ा, अपने प्याले की चाय में थोड़ी सी मुस्कान और बहुत सारी चाशनी घोलकर राहुल का स्वागत किया।
राहुल जो ना केवल अपनी पढ़ाई में, बल्कि मानव संबंधों की समझ में भी उतना ही तेज था, जल्द ही सीमा के इरादे समझ गया। परन्तु, वह इस ध्यान का बुरा नहीं मानता था, बल्कि कहीं ना कहीं उसे अपनी चाची का यह खास ख्याल रखना अच्छा लगा।
जैसे-जैसे दिन गुजरा, सीमा के डोरे अधिक गहरे होते गए। वह राहुल के लिए कोमल वाणियों से लेकर पसंदीदा मिठाइयां बनाने तक, सब कुछ कर रही थीं। कभी-कभी वह उसे अपने साथ बाजार चलने का भी आमंत्रित करती, अपने प्रेम की छाप से उसे बांधने की छुपी कोशिश करती।
राहुल के माता-पिता और उसके दोस्तों ने भी इस परिवर्तन को नोटिस किया। उन्हें ये संदेह होने लगा कि कहीं सीमा के इरादे ठीक नहीं हो, और यह उनके पारिवारिक रिश्तों के लिए सही नहीं होगा।
कैसे राहुल ने इस स्थिति को संभाला, और कैसे उसने सीमा को यह समझाया कि सच्चा प्यार और आकर्षण उम्र और समय को पार करके नहीं बांधा जा सकता, यह इस कहानी की कुंजी है।
अंत में सीमा को अपनी भावनाओं का आकलन करने का मौका मिलता है, और उन्हें एहसास होता है कि उनके भांजे के प्रति उनकी भावनाएं पारिवारिक प्यार से बाहर कुछ और थीं। अंत में, वह राहुल की जिंदगी में उसकी सहायक चाची का रोल वापस पा लेती है, और दोनों मिलकर उसके जीवन के सफर में साथ चलते हैं, पर लाग-लपेट के बिना, शुद्ध और संपूर्ण पारिवारिक प्रेम के साथ।