कोमल एक सामान्य परिवार से थी। उसका प्यारा सा घर, माता-पिता और एक छोटा भाई। सब कुछ सामान्य चल रहा था। कोमल अपने कॉलेज के दिनों में अजय से मिली। अजय उसके सपनों का राजकुमार जैसा था – आकर्षक, समझदार और हमेशा उसे खुश रखने वाला। दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गयी।
शुरुआती आकर्षण और प्यार का वह दौर बहुत खूबसूरत था। घंटों फोन पर बातें, कॉलेज के बाहर मिलने के नाजायज बहाने और ख्वाबों में खोए दोनों। लेकिन एक दिन कोमल को पता चला कि वह प्रेग्नेंट है। यह ख़बर खुशी की नहीं, बल्कि एक झटके की तरह थी। उनके प्यार का एक छोटा सा परिणाम अब उनके सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ा था।
कोमल के परिवार वाले पारंपरिक और काफी सख्त थे। उसे पता था कि उनके सामने सच लाना मतलब एक बड़ी जटिलताओं का सामना करना। दूसरी ओर, अजय का परिवार अधिक आधुनिक विचारों वाला था पर संभावना थी कि वे भी इस परिस्थिति को स्वीकार नहीं करेंगे।
अजय को जब पता चला, तो शुरु में तो वह हैरान रह गया। पर उसने कोमल का साथ देने का वादा किया। उन्होंने साथ में बैठकर बहुत सोचा, विकल्पों पर विचार किया। कोमल को लगा कि वह भावनात्मक तौर पर माँ बनने के लिए तैयार नहीं है। अजय ने भी अपने करियर और अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सोचा।
एक दिन, कोमल ने हिम्मत करके अपनी माँ से सच बता दिया। रोष, आंसू, और निराशा के कुछ क्षणों के बाद, कोमल की माँ ने अपनी बेटी का समर्थन किया। वे मान गए कि कोमल को ऐसे किसी फैसले को लेने का अधिकार है जिससे उसका और आने वाले बच्चे का भविष्य प्रभावित न हो।
अगले कुछ हफ्ते बेहद कठिन रहे लेकिन धीरे-धीरे सब शांत हुआ। कोमल और अजय ने मिलकर निर्णय लिया कि वे अपने बच्चे को जन्म देंगे, लेकिन उसे अडॉप्शन के लिए दे देंगे, ताकि बच्चे को एक ऐसे परिवार में बढ़ने का अवसर मिल सके जो उसे बेहतर भविष्य दे सके।
इस कठिन दौर में उन्होंने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा और साथ में मिलकर उन सभी चुनौतियों का सामना किया जो उनके सामने आईं। समय के साथ, सभी ने स्वीकार किया कि जो होना था, वो हो चुका है और अब आगे बेहतरी की ओर सोचना ही श्रेष्ठ है। इस कहानी ने न केवल कोमल और अजय को बल्कि उनके परिवारों को भी जीवन के एक नए पहलू से परिचित कराया।