प्राचीन भारत के एक राज्य में विजयपुर नामक नगर विख्यात था। इस नगर में राजा सुरेन्द्र सिंह का शासन था, जिनकी प्रजा उनसे बेहद प्रेम करती थी। एक दिन, एक रहस्यमय फकीर राजा के दरबार में आया और एक सीप के खोल में बंद नक्शा उनको दे दिया। इस नक्शे में समुंद्र की गहराइयों में छिपे खजाने का राज़ बताया गया था।
राजा की जिज्ञासा जगी और उन्होंने अपने सबसे विश्वासी सенापति, वीर अर्जुन को इस खजाने की खोज में भेजा। अर्जुन महासागर में जलपोत के साथ अपने कुछ साथी वीरों के साथ निकल पड़ा।
उसके सफर में उसे जलपरियों, समुंद्री दानवों और विचित्र जलचरों का सामना करना पड़ा। हर मोड़ पर, एक नई कठिनाई उसके साहस को परखती, लेकिन उसका धैर्य और बुद्धिमत्ता उसे सदैव मार्ग दिखाती।
समुंद्र की एक अंधकारमयी गहराई में, अर्जुन ने खजाने की महिमा को खोज निकाला—एक चमकीले महल को जिसमें सोने के सिक्कों, हीरे-जवाहरातों से भरे बक्से और अनगिनत रत्नजड़ित मुकुट सजाए गए थे। लेकिन, इस महल की रखवाली एक विशालकाय समुंद्री साँप कर रहा था।
यह बताने की कहानी बहुत लंबी और रोमांच से भरपूर है, जिसमें अर्जुन कैसे बुद्धि, साहस और धैर्य के साथ विपत्तियों का सामना करता है और अंततः समुंद्री साँप को हराकर खजाने को प्राप्त करता है, यह एक अनभूत कथा है।
अगर आप इस अद्भुत और जादुई कहानी की गहराइयों में उतरना चाहते हैं, तो आपको इसे पूरा पढ़ने का अनुभव खुद ही करना होगा।