एक जंगल था, अनोखा और विशाल,
जिसके हर कोने में बसती एक जादुई कहानी निराली।
ऊँचे-ऊँचे पेड़ जैसे आसमान को छूने चले,
नीचे घने फूलों की गलीचे, जिनमें भंवरे मगन रंगों में खेले।
नदी का पानी बजाता संगीत सुमधुर,
पक्षियों की चहचहाहट गूंज उठी मनुहर।
कहते थे, इस जंगल में रहती एक परी,
जो बिखेरती थी खुशियाँ, जैसे हो खुशियों की कुमारी।
उस परी का जादू था बहुत ही बलवान,
जिससे जंगल था हमेशा हरा-भरा, खुशियों का आवास स्थान।
परी की एक मुस्कान से खिल उठते थे फूल,
और उसके जादू से लगती थी हर दुःख की धूल।
मगर एक दिन आया तूफान, नष्ट करने जंगल की शान,
लोगों की कुदृष्टि से जंगल को खतरा था अब पहचान।
उनके जहाज ले आए खतरनाक मशीनें,
जिनसे काटते वे पेड़, बिखरते सब सपने, होती कीमती हरीनें।
जंगल की सभी प्राणी जुट गए एक साथ,
कैसे बचाएं अपना प्यारा जंगल, सोचते वो सर्वपरिहासाथ।
वहां आईं फिर परी, अपने जादू की झोली लाई,
“मिलकर लड़ेंगे हम,” उसने सब को साहस दिलाई।
संग उनके संगीत, नृत्य, और जादू चला,
नदी, पक्षी, पेड़, पशु, हरेक ने खतरे का मुंह मोड़ा।
मनुष्यों ने देखा, समझा, प्रकृति से पूछा माफी,
परिस्थिति बदल गई, शांति और प्रेम की वो बन गए साक्षी।
जंगल फिर से हो गया हरा-भरा,
सबने मिलकर बनाए नियम, जंगल का राज्य फिर से सुंदरा।
परी के जादू और सबकी एकता से,
बच गया वो जादुई जंगल, प्यार और शांति की बनी उत्कृष्ट मिसाल उसमें बसता था।
और तभी से कहानी ये मशहुर हो गई,
की जंगल और प्राणियों की एकता से हर बाधा दूर हो गई।
क्योंकि जब साथ हो जादू और प्यार का मेल,
तब हर जंग में जीत निश्चित, ये है अटल सच्चाई – कुदरत का खेल।