Panchatantra

 ब्राह्मण, चोर, और राक्षस (The Brahmin, the Thief, and the Demon)

The Brahmin, the Thief, and the Demon

एक ब्राह्मण था, जिसे अचानक एक राक्षस मिला। राक्षस ने उससे कहा कि वह प्रत्येक दिन एक मानव बलि चाहता है। डर कर ब्राह्मण ने चोरी और अन्य पापों में लिप्त एक ठग को खोज निकाला। ब्राह्मण ने चोर को समझाया कि उसे एक बड़ा खजाना मिल सकता है अगर वह उसका अनुसरण करे। चोर लालच में आ गया और ब्राह्मण के साथ चल पड़ा।

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ब्राह्मण उस ठग को राक्षस के पास ले गया और छिपकर देखने लगा। जब राक्षस चोर की बलि लेने वाला था, चोर ने त्वरित बुद्धि से काम लिया और राक्षस के सामने एक पहेली पेश की। उसने कहा कि उसके पास राक्षस को सिखाने के लिए एक नई तकनीक है जो उसको अधिक शक्तिशाली बना देगी। अनुसरण करे बिना विचार किए, राक्षस ने ठगी की तकनीक आजमाई और खुद ही उसमें फँस गया, और चोर ने उसे मार दिया।

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ब्राह्मण वापस लौटा और सोचने लगा कि उसके निजी लाभ के लिए उसने एक अन्यायी का साथ दिया, जो भविष्य में उसके लिए भी एक संकट का कारण बन सकता है। इसलिए, उसने चोर को उसके पापों के लिए पुलिस के हवाले कर दिया। इस कहानी का नैतिक यह है कि कुटिलता और धूर्तता का अंत अच्छा नहीं होता, और हर समस्या का समाधान नैतिकता और सच्चाई में ही होता है।

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