Hindi Kahani

Written by 1:45 pm Panchatantra

मित्रभेद और मित्रलाभ (The Tale of Discord and Alliance)

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किसी जंगल में एक बार हुआ कुछ अजूबा,
करीब आए दो जानवर जो थे बहुत ही जुदा।
एक था भोला भाला भेड़िया, नाम था धूर्त,
और उसका साथी बना एक चतुर लोमड़ी, जिसका नाम था चंचल।

भेड़िया और लोमड़ी, दोनों में थी दोस्ती गहरी,
साथ में शिकार करते, बांटते सब कुछ निष्ठुरी।
लेकिन कहानी में आया एक दिन ऐसा मोड़,
जब धूर्त का मन मार गया, करने लगा चंचल की ओर कोड़।

एक दिन जंगल में उन्होंने पकड़ा एक मोटा बकरा,
धूर्त ने चंचल से कहा, “बाँट दे यह शिकार हमारा।”
चंचल ने सोच समझकर बांटा बकरा तीन हिस्सों में,
एक हिस्सा खुद के लिए, दो धूर्त के, बैठाया रिश्तों में।

लेकिन धूर्त के मन में तो था कुछ और ही,
उसने सोचा सारा बकरा वह खाएगा अकेला,
आधार किया चाल पर, और बोला चंचल से चेला।
“तू बांटा नहीं जानता, देख मुझे बांटने दे बकरा,”
और बाँट दिया सारा शिकार को खुद ही अपने लिए अक्का।

चंचल दुखी हुई, उसे लगा धूर्त ने धोखा दिया,
और वह चुपचाप उस जंगल से वहाँ से चल दी जिया।
लोमड़ी को एक दिन आया एक विचार,
अगर मिल जाए उसे शेर का साथ, तो बन सकता है बड़ा कारजबार।

चंचल पहुंची शेर के पास, बोली एक सच्ची बात,
“महाराज, भेड़िया करता है शिकार, पर आप के लिए हो सकता है वह हाज़िर।”
शेर ललचाया, उसने चंचल की बात मान ली,
और चंचल उसे ले गई धूर्त के पास, सीधे आन बाँध ली।

धूर्त समझ ना पाया और फँस गया शेर के जाल में,
जिसने उसे दबोचा, और चंचल को गर्व हुआ अपनी चाल में।
और इस तरह समझ आया कि मित्रभेद का अंत कैसे होता है,
एक दूसरे को धोखा दिया तो, मित्रलाभ भी संग छोटा होता है।

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चंचल ने जंगल में रहकर की नई शुरुआत,
और शेर संग रहकर मित्रता निभाई खूब सौहार्दपूर्ण।
ऐसे ही कहानियाँ बनी पंचातंत्र की नीव,
जहाँ हर कथा में छिपा हुआ है जीवन गीत काी संगीत।

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Last modified: 04/04/2024