बहुत समय पहले की बात है, हिंदुस्तान के एक सोने की खान वाले प्रान्त में, जिसका नाम धनपुर था, जहाँ साहस और जादू की कहानियाँ आम बात थीं। वहाँ के राजा स्वप्निल को एक रात एक बड़ा अजीब सपना आया। सपने में उन्होंने देखा कि एक जादुई परी उन्हें अपने स्वप्नलोक में ले जा रही है।
परी ने राजा से कहा, “हे राजन! तुम्हारे राज्य के पश्चिम में एक अद्भुत उद्यान है, जहाँ एक जीवन दायिनी झील है। उस झील के जल से तुम्हारी प्रजा के सभी दुःख-दर्द दूर हो सकते हैं। लेकिन, वहाँ एक दुष्ट चुड़ैल भी रहती है, जिसने उस झील को अपना बंधक बना रखा है।”
राजा स्वप्निल सुबह उठे तो उन्हें अपने सपने का पूरा विवरण याद था। वह उस जादुई उद्यान की तलाश में निकल पड़े। उन्होंने अपने कई बहादुर सैनिकों को साथ लिया और पश्चिम की ओर चल पड़े।
उन्होंने दिन रात एक कर दिया और कई तरह की बाधाओं का सामना किया। घने जंगलों से गुज़रे, ऊँचे पहाड़ों को पार किया और कई चालाक जानवरों से अपनी रक्षा की।
आखिरकार, वे एक बहुत ही सुंदर उद्यान में पहुँचे, जहाँ विविध रंगों के फूल खिले हुए थ
े और तालाब का पानी नीला और साफ था। लेकिन जल्दी ही उन्होंने तालाब की रक्षा करती चुड़ैल को देखा, जिसकी आंखें जलते अंगारों की तरह थीं। उसने राजा और उनके सैनिकों पर हमला कर दिया।
एक भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें राजा स्वप्निल और उनके सैनिकों ने चुड़ैल को हराने के लिए अपनी पूरी शक्ति और साहस का प्रयोग किया। लड़ाई में चुड़ैल के हाथ से एक जादुई हार गिरा, जिसे उठाकर राजा ने तालाब के पानी में डाल दिया।
उसी क्षण से, पूरे तालाब में जैसे जीवन की नई लहर दौड़ गई। उस जल से सिर्फ प्रजा ही नहीं बल्कि पूरा राज्य प्रगति की ओर अग्रसर हुआ।
और यह कहानी आज भी धनपुर के लोगों के दिलों में जीवित है, कैसे उनका प्रिय राजा स्वप्निल ने अपने साहस और बुद्धिमत्ता से पूरे राज्य को नया जीवन देने वाला जल प्रदान किया।