Panchatantra

हाथी और गौरैया (The Elephant and the Sparrow)

The Elephant and the Sparrow

किसी घने वन में एक गौरैया अपने घोंसले में बैठी अपने अंडों की सेवा कर रही थी। घोंसला एक मोटी और शक्तिशाली शाखा पर स्थित था। एक दिन, एक हाथी, जिसका नाम मधुकर था, वहां आया हुआ था। मधुकर क्रोधी और असंवेदनशील था, और उसने बिना किसी कारण के उस वृक्ष को अपनी सूँड़ से तोड़ डाला, जिस पर गौरैया का घोंसला था। इससे गौरैया के अंडे जमीन पर गिर कर टूट गए और गौरैया बहुत दुःखी हुई।

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गौरैया ने न्याय की खोज में अपने मित्र कौवे, मेंढक और साँप से मदद मांगी। सभी ने मिलकर एक योजना बनाई। मेंढक अपनी टर्र-टर्र से हाथी को एक गड्ढे की ओर ले गया जहां उसने सोचा कि कोई मेंढक था। गड्ढे में हाथी फंस गया और साँप ने उसे डस लिया, जबकि कौवे उसकी आंखों पर वार कर रहे थे।

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अंततः, मधुकर हाथी को उसके कर्मों के लिए सजा मिली, और उसकी देह अन्य जंगली जीवों का भोजन बन गई। यह कहानी सिखाती है कि कोई भी कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर वह अन्याय करता है, तो अंत में उसे उसके कर्मों का फल जरूर मिलता है। साथ ही ये भी दर्शाती है कि संगठन और एकता से बड़ी से बड़ी शक्तिशाली शक्तियों का मुकाबला किया जा सकता है।

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