बहुत समय पहले की बात है, कालपुर नामक एक गाँव में एक विशाल झील थी जिसे लोग ‘जादुई झील’ के नाम से जानते थे। किंवदंतियों के अनुसार, इस झील में कई रहस्य छिपे हुए थे।
एक दिन, गाँव के एक बहादुर युवक रोहित ने ठान लिया कि वह इस झील का रहस्य सुलझा कर ही रहेगा। उसने अपने साहसिक कार्य की शुरुआत की और झील के किनारे पहुँच गया। झील के पानी में अजीब सी चमक थी, और उस पर एक अद्भुत शांति छाई हुई थी।
रोहित ने झील में एक नाव उतारी और उसके बीचो-बीच जाने का फैसला किया। जैसे ही वह नाव चलाता हुआ झील के मध्य भाग में पहुंचा, उसने देखा कि झील का पानी क्रिस्टल की तरह चमक रहा है और उसमें अजीब तरह की सुगंध आ रही है।
अचानक, एक विशाल मछली नाव के पास आई और उसने रोहित से बोला, “तुमने झील की शक्ति को पहचान लिया है। लेकिन इसका रहस्य जानने से पहले तुम्हें एक परीक्षा पास करनी होगी।”
रोहित ने साहस से जवाब दिया, “मैं तैयार हूं।”
मछली ने रोहित को झील के तीन पहेलियाँ दीं। रोहित ने बुद्धि और चतुराई से सभी पहेलियों का हल खोज लिया और आखिर में, झील ने अपना सबसे बड़ा रहस्य साझा किया – यह एक प्रवेश द्वार था एक ऐसे प्राचीन खजाने का, जो ज्ञान और बुद्धि से भरा हुआ था, ना कि सोने और हीरे से।
रोहित ने इस ज्ञान को अपने गांववालों के साथ साझा किया और जल्द ही कालपुर ज्ञान और समृद्धि की भूमि बन गया। तब से, ‘जादुई झील’ का रहस्य सिर्फ एक किंवदंती नहीं, बल्कि एक सच्चाई बन गया था।