किसी जमाने में, अरब के विशाल सागर में एक रहस्यमयी जज़ीरा (द्वीप) छिपा हुआ था। इस द्वीप की कहानियां समुद्री लुटेरे और व्यापारी, सब की ज़ुबान पर थीं। कहते थे कि इस द्वीप पर सोने का एक पहाड़ था, जिसकी रक्षा करता था एक क्रूर जादूगर।
बगदाद का एक साहसी नौजवान, जिसका नाम अज़ान था, उसने ठानी कि वह इस खज़ाने को ढूँढकर ही रहेगा। एक रात जब चाँदनी बिखरी पड़ी थी, अज़ान ने अपनी पुरानी नाव को समुद्र में उतारा और चल पड़ा उस रहस्यमयी जज़ीरे की तलाश में।
हफ्तों की मशक्कत के बाद, अज़ान उस द्वीप तक पहुँचा। वहाँ पहुँचते ही उसे खूबसूरती का आलम देखने को मिला – चारों तरफ़ हरियाली, खिलते फूल और चिड़ियों की चहचहाहट। लेकिन असली चुनौती तब शुरू हुई जब अज़ान को उस जादूगर का सामना करना पड़ा।
जादूगर ने अज़ान को अपनी जादुई शक्तियों से पहेलियाँ बुझाने को कहा। हर पहेली के सही उत्तर के साथ ही अज़ान को मिलता चला गया एक-एक करके सोने के सिक्के। अज़ान ने बुद्धिमत्ता और साहस से हर पहेली का हल निकाला, और उसके सामने खज़ाने के दरवाज़े खुलते चले गए।
अंत में, जादूगर ने उसे एक अंतिम चुनौती दी – वह थी हिम्मत की परीक्षा। अज़ान को एक ऐसा कमरा मिला जो सोने से भरा हुआ था, लेकिन सिर्फ़ पाँच मिनट के लिए। उसे इतने समय में जितना सोना ले सकता था, लेना था।
अज़ान ने लालच से दूर रहते हुए, बस कुछ ही सोने की मुद्राएँ उठाईं और बाहर निकल गया। जादूगर की आखिरी बाधा पार करने पर जादूगर प्रसन्न हुआ और उसने अज़ान को उसकी ईमानदारी और साहस के लिए उसे और भी बहुमूल्य खजाने दिए। अज़ान उस द्वीप से न सिर्फ धन लेकर लौटा बल्कि जीवन की सीख और अनुभव भी ले उठा, जो उसके लिए सोने से भी ज्यादा कीमती थे।