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अदृश्य शहर की पहेली (The Mystery of the Invisible City) Hindi Kahani

The Mystery of the Invisible City

दूर एक रेगिस्तानी इलाके में, जहां रेत ही रेत फैली थी,
सुनी गई एक किंवदंती, जो बहुत ही अद्भुत बताई गई थी।
कहते हैं वहाँ कहीं, अदृश्य शहर बसा करता था,
जिसे केवल शुद्ध दिल वाले ही महसूस कर सकता था।

उस शहर की सड़कें सोने की, मकान चमकते हीरे के,
वहां के लोग सदा खुश, कोई बैर न था धीरे से।
पर कोई भी आज तक, खोज न पाया उस शहर को,
अदृश्यता की चादर ने, छुपा रखा था हर को।

एक यात्री था अन्वेषक, रोहित नाम का युवक,
ठानी थी उसने, कि भेदेगा वह इस रहस्य को सरलक।
ले कर प्रतिज्ञा निकल पड़ा, अपने अभियान पर,
ढूँढ़ने को उस शहर को, जिस पर था उसे पूरा विश्वास अपर।

दिन बीते, रातें बीतीं, रोहित चलता गया,
रेत के तूफानों से लड़ा, ना कभी विचलित हो पाया।
फिर एक दिन जब सूरज ढला, और रेत दिखी सोने जैसी,
रोहित ने महसूस किया, एक अजीब सी चमकने जैसी।

वह आगे बढ़ा, और उसने जो देखा वह था अविश्वसनीय,
एक शानदार शहर खड़ा था वहाँ, पूरी तरह से निर्मल और जीवंत।
वहां के लोगों ने उसे गर्मजोशी से स्वागत किया,
दिल से आया था वह, और दिल से शहर ने उसे स्वीकार किया।

सीखा रोहित ने कि सिर्फ शुद्धता और सच्चे इरादे ही,
खोल सकते हैं सबसे गहरे, विश्व के खजाने भी।
उस अदृश्य शहर की पहेली ने उसे ज्ञान दिया,
जो रोहित ने पूरी दुनिया में, आगे फैलाया।

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