अंजली की आँखों में सपने पले बड़े नाजुक थे। प्रेम के गीत उसके होंठों पर मधुर संगीत की तरह बहते रहते। ऐसे में अपनी कॉलेज की लाइब्रेरी में एक अजनबी के प्रेम में पड़ना उसके लिए किसी संगीतमय उपन्यास से कम नहीं था। वह अजनबी कोई और नहीं, करण था – एक शांत स्वभाव का, आंखों में गहरी समझ और मुस्कुराहट में ढेर सारी मिठास लिए।
अंजली को पहली दफा करण तब मिला जब एक किताब को लेने के लिए दोनों ने साथ में हाथ बढ़ाया। किताब पर उंगलियों का स्पर्श महसूस होते ही दोनों की निगाहें मिलीं, और उस लम्हे ने उनके दिल के तारों को जैसे छेड़ दिया।
दिन बीतते गए और लाइब्रेरी की यह छोटी सी मुलाकात बेंच पर बातों में बदल गई। अंजली एक कहानीकार थी और करण उसकी कहानियों में उसका पहला पाठक।
एक दिन अंजली ने करण को अपनी सबसे खास कहानी सुनाने का निर्णय लिया। यह कहानी एक ऐसी राजकुमारी की थी, जो अपने सपनों के राजकुमार की प्रतीक्षा में थी। कहानी सुनकर करण की आंखों में जो भाव उमड़े, उसने अंजली के दिल के सबसे गहरे कोने को छुआ।
समय का कारवां चला और दोनों के बीच की दोस्ती प्रेम में परिणत हुई। अंजली और करण ने एक दूसरे की आंखों में अपना भविष्य पढ़ लिया। बाग़ों में साथ चलने, चांदनी रात में सितारों के नीचे बातें करने, और प्राचीन किलों को देखने जैसी सरल चीज़ों में वे असीम खुशियां पाते। उनके प्यार की मिठास समय के साथ और भी गहरी होती गई।
अंततः, अंजली ने करण से कहा, “क्या तुम मेरे सपनों का राजकुमार हो?”
करण ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “अगर तुम्हारे सपने मुझे चुनते हैं, तो हाँ, मैं वही हूँ।”
उस दिन से वे अटूट प्रेम की एक अनूठी परिभाषा बन गए। उनका प्रेम संगीतमय हो गया, जिनके हर स्वर में आत्मीयता और विश्वास की धुन थी।
अंजली और करण का प्रेम संसार के सब बंधनों से परे था। जब भी वे साथ होते, उनके चारों ओर का माहौल ही बदल जाता। चाहे वे बातें कर रहे हों या एक-दूसरे के साथ चुपचाप बैठे हों, उनका प्यार अनकही भाषा में बातें करता।
करण अंजली को हर रोज़ एक नया सरप्राइज़ देने की सोचता। कभी वह उसके लिए गिटार बजाता, तो कभी उसकी पसंदीदा किताब से प्यारे अनशन को चुपके से उसके बैग में रख देता।
अंजली भी करण के लिए अनोखे उपहार बनाती। वह उसके लिए ख़ूबसूरत पेंटिंग्स बनाया करती थी, जिनमें वे दोनों अपनी खुशहाल दुनिया में घिरे होते।
जब भी शहर में बारिश होती, वे दोनों चुपचाप किसी छतरी के नीचे खड़े होते और प्रकृति के इस खेल को निहारते। कभी-कभी वे बारिश में भीगने की परवाह किए बिना सड़कों पर नाचते, और अपने प्रेम को बारिश की बूंदों के साथ मिला देते।
वक्त के साथ करण और अंजली की ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उनका प्यार कभी कमजोर नहीं पड़ा। जब कभी करण के सपने धुंधले पड़ते, अंजली का विश्वास उसे नई ऊर्जा से भर देता। और जब कभी अंजली मायूस होती, करण का हास्य उसके चेहरे पर मुस्कान बिखेर देता।
दोनों के बीच कोई शब्द नहीं होते, फिर भी उनकी आँखें सब कह देतीं। करण अंजली के लिए वह आदमी था जो उसके सपनों में आता था, और अंजली करण के लिए वह संगीनी थी जो उसकी हर धड़कन में बसी होती थी।
करण ने एक दिन फैसला कर लिया कि वह अंजली को अपने प्यार का इज़हार एक खास तरीके से करेगा। उसने अंजली को एक नाव की सैर पर ले जाने का निमंत्रण दिया जिसकी कोई भी लड़की सपने में ही कल्पना कर सकती थी। सुनहरा सूरज ढल रहा था और पानी पर उसकी लालिमा बिखरी हुई थी। नाव के बीचो-बीच एक खूबसूरत टेबल सजा था।
अंजली जैसे ही नाव पर चढ़ी, करण ने उसका हाथ थामा और उसे टेबल तक ले गया। नाव धीरे-धीरे झील में बढ़ने लगी, और प्राकृतिक सौंदर्य से भरे वातावरण में उन्होंने साथ में खाना खाया।
करण ने टेबल के नीचे से एक छोटा सा वृण्दावन निकाला जिसमें एक सुनहरी अंगूठी चमक रही थी। उसने अंजली की आँखों में देखते हुए कहा, “क्या तुम मेरे संगीत की धुन बनोगी, हमेशा के लिए?”
वह लम्हा इतना जादुई था कि अंजली की आँखों से खुशी के आँसू छलक पड़े। उसने अपने दिल की गहराइयों से “हां” में स
र दिया।
उस दिन के बाद से, अंजली और करण की जिंदगी एक संगीत की सुंदर रचना बन गई, जिसमें हर नोट प्यार और समर्पण की गाथा सुनाता था। वे साथ में जीवन के सुर और ताल को समझते गए और एक दूसरे के साथ हर पल को खुशियों से भरते गए।
उनकी प्रेम कहानी ने सिद्ध कर दिया कि सच्चा प्यार सब परिस्थितियों में खिलता है, और हर कहानी में प्रेम की अपनी एक रागिनी होती है।