भारतीय गांवों की गोद में अनेक लोक कथाएँ और परंपराएँ पली-बढ़ी हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक कहानी है दो मित्रों की, जिनका नाम रामु और श्यामु था। दोनों न केवल गहरे मित्र थे बल्कि उनकी मित्रता की चर्चा दूर-दूर तक थी।
एक बार की बात है, दोनों ने साथ में गाँव से दूर एक जंगल की यात्रा की। यह जंगल रहस्यों से भरा था, जहाँ पर ऐसे अनेक जीव-जंतु एवं पौधे थे जो अन्यत्र दुर्लभ थे। अपने सफर के दौरान, रामु और श्यामु ने एक पुराना मंदिर देखा, जो बरगद के विशाल वृक्ष ने अपनी जड़ों से आवरण किया हुआ था। उन्होंने सुना था कि वहाँ एक सिद्ध साधु रहते हैं, जो अपनी सिद्धियों से लोगों की मनोकामना पूरी करते हैं।
मंदिर में पहुंचकर दोनों ने देखा कि साधु ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। उनकी ध्यान मुद्रा इतनी प्रभावशाली थी कि रामु और श्यामु ने निर्णय लिया कि वे उन्हें न जगाएं और पूजा अर्चना करके चले जाएं। मगर तभी अचानक साधु की आंखें खुलीं और उन्होंने दोनों का स्वागत किया। साधु ने उनसे उनकी इच्छाएँ पूछीं, और दोनों ने अपने-अपने जीवन की खुशियों और समस्याओं के बारे में बताया।
साधु ने उन्हें एक रहस्यमय बक्सा दिया, जो बाहर से सामान्य दिखता था परंतु उसमें विशेष क्षमताएं थीं। उन्होंने कहा, “इस बक्से को उस समय खोलना जब तुम दोनों सहमत हो और तुम्हारी मित्रता पर कोई संशय न हो।”
रामु और श्यामु ने बक्से को घर वापस ले आए और उसे तब तक नहीं खोला जब तक उन्हें कोई मुश्किल नहीं आई। एक दिन गाँव में भारी अकाल पड़ा और लोगों के पास खाने के लिए अन्न नही
रहा।उस समय उन्होंने बक्से को खोलने का निर्णय लिया और बक्से से अन्न और धन निकला, जिससे पूरे गाँव की भूख मिटाई जा सकी।
इस तरह, बक्से की माया ने न केवल गाँव की मदद की बल्कि दोनों मित्रों के बंधन को और भी मजबूत किया। उन्होंने जाना कि सच्ची मित्रता और विश्वास में ही असली जादू छिपा होता है। उनकी ये अद्भूत कहानी लोक कथा का हिस्सा बन गई और उसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाया जाने लगा।