राखी का त्योहार आ गया था। गांव के हर घर में उत्सव की तैयारी जोरों पर थी। सोनू और मोनू, दो भाई-बहन, भी इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन इस बार का राखी कुछ अलग था। सोनू की उम्र अब 18 साल हो चुकी थी और उसने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। मोनू अभी 15 साल का था और अपनी बहन को बहुत मानता था।
गांव में एक पुराना मंदिर था, जिसे ‘शिव शक्ति मंदिर’ कहा जाता था। इस मंदिर के बारे में कहा जाता था कि यहाँ भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा है। मंदिर से जुड़ी एक कथा भी प्रचलित थी कि यहाँ राखी के दिन अगर कोई भाई-बहन मिलकर भगवान शिव की आराधना करें, तो उनकी रक्षा हमेशा होती है और उनका बंधन हमेशा मजबूत रहता है।
सोनू और मोनू ने भी सोचा कि इस बार वे मंदिर जाकर पूजा करेंगे। राखी के दिन सुबह-सुबह दोनों ने मंदिर जाने की योजना बनाई। लेकिन मंदिर का रास्ता आसान नहीं था। उनके गांव से मंदिर तक जाने वाला रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता था। सोनू ने मोनू से कहा, “डरने की कोई बात नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
दोनों भाई-बहन ने अपनी यात्रा शुरू की। रास्ते में सोनू ने मोनू को पुरानी कहानियाँ सुनाईं और दोनों हंसते-खेलते चल रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे वे जंगल के अंदर गहरे जाने लगे, माहौल थोड़ा भयावह होता गया। चारों ओर घना अंधेरा और अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं।
मोनू ने डरते हुए कहा, “दीदी, ये जगह तो बहुत डरावनी है।”
सोनू ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, “डरने की कोई बात नहीं, हम जल्दी ही मंदिर पहुँच जाएंगे।”
थोड़ी दूर चलने के बाद, सोनू को एक अजीब सी चीज दिखाई दी। एक पुरानी, जर्जर हालत में पड़ी हुई किताब। सोनू ने किताब उठाई और उसे खोलने लगी। किताब के पहले पन्ने पर लिखा था, “जो इस किताब को पढ़ेगा, उसे एक रहस्य का सामना करना पड़ेगा।”
सोनू ने किताब बंद कर दी और सोचा कि इसे मंदिर पहुँचने के बाद ही खोलेंगे।
आखिरकार, काफी मुश्किलों के बाद, वे मंदिर पहुँच गए। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही दोनों ने भगवान शिव की प्रतिमा के सामने दीप जलाया और पूजा शुरू की। सोनू ने मोनू को रक्षासूत्र बांधा और मोनू ने भी सोनू को तिलक लगाया।
पूजा समाप्त होने के बाद, सोनू ने वह किताब फिर से खोली। इस बार उसने किताब के अगले पन्ने पर लिखा देखा, “तुम्हारी रक्षा का रहस्य इसी मंदिर में छुपा है।”
दोनों भाई-बहन ने मंदिर को ध्यान से देखना शुरू किया। अचानक, मोनू की नजर मंदिर के एक कोने में पड़े एक छोटे से संदूक पर पड़ी। संदूक को खोलने पर उसमें एक पुरानी चाबी मिली। चाबी के साथ एक और पर्ची थी, जिस पर लिखा था, “यह चाबी तुम्हें सही रास्ता दिखाएगी।”
सोनू और मोनू ने चाबी को लेकर मंदिर के आस-पास खोजबीन शुरू की। उन्हें मंदिर के पीछे एक गुप्त दरवाजा मिला। चाबी से दरवाजा खोला तो अंदर एक और छोटा कमरा था। कमरे के अंदर भगवान शिव की एक और प्रतिमा थी, जिसके हाथ में एक चमकदार रक्षासूत्र बंधा हुआ था।
सोनू ने वह रक्षासूत्र उठा लिया और उसे मोनू के हाथ में बांध दिया। तभी उन्हें महसूस हुआ कि वे दोनों एक अदृश्य शक्ति से घिरे हुए हैं। भगवान शिव की प्रतिमा मुस्कराई और एक दिव्य आवाज आई, “तुम्हारा बंधन अब अटूट है। इस रक्षा सूत्र में मेरी शक्ति है, जो तुम्हें हर संकट से बचाएगी।”
दोनों भाई-बहन ने भगवान शिव को प्रणाम किया और खुशी-खुशी मंदिर से बाहर निकले। गांव में पहुँचकर उन्होंने अपनी कहानी सबको सुनाई। पूरे गांव में यह कहानी फैल गई और अब हर राखी के दिन, भाई-बहन शिव शक्ति मंदिर में जाकर पूजा करते हैं और भगवान की कृपा से अपने बंधन को और मजबूत बनाते हैं।