बहुत समय पहले, हिमालय की तराई में एक छोटे से गाँव में दो घनिष्ठ मित्र रहते थे – अर्जुन और सूरज। दोनों बचपन से ही साथ बड़े हुए थे और उनकी दोस्ती की मिसाल पूरे गाँव में दी जाती थी। अर्जुन बहुत समझदार और शांत स्वभाव का था जबकि सूरज निडर और साहसी था। दोनों एक-दूसरे की खूबियों और कमियों को बहुत अच्छी तरह समझते थे।
एक दिन गाँव में एक बूढ़ा साधु आया और उसने गाँववालों को बताया कि पास के घने जंगल में एक रहस्यमयी गुफा है जिसमें एक अद्भुत खज़ाना छिपा हुआ है। लेकिन उस गुफा तक पहुँचना बहुत खतरनाक है। साधु ने यह भी बताया कि केवल सच्ची दोस्ती और साहस ही उस खज़ाने तक पहुँचने में मदद कर सकते हैं।
अर्जुन और सूरज ने तय किया कि वे इस रोमांचक यात्रा पर जाएंगे और खज़ाने को खोजेंगे। वे दोनों सुबह-सुबह ही जंगल की ओर निकल पड़े। जंगल में प्रवेश करते ही उन्हें अजीब-अजीब आवाज़ें सुनाई देने लगीं। चारों ओर घना अंधेरा और रहस्यमयी वातावरण था। अर्जुन ने नक्शा निकाला और दोनों ने गुफा की दिशा में बढ़ना शुरू किया।
चलते-चलते उन्हें एक नदी मिली, जिसका पानी बहुत तेज़ी से बह रहा था। नदी को पार करना बहुत मुश्किल था। सूरज ने नदी के पार एक बड़ा पेड़ देखा और अर्जुन से कहा, “हम उस पेड़ की शाखाओं का इस्तेमाल करके नदी पार कर सकते हैं।” अर्जुन ने सहमति दी और दोनों ने पेड़ की शाखाओं का पुल बना लिया।
नदी पार करने के बाद, वे दोनों और गहराई में जाने लगे। थोड़ी देर बाद उन्हें एक विशाल चट्टान मिली, जिसके पीछे गुफा का मुंह था। गुफा के बाहर एक बड़ा सांप पहरा दे रहा था। अर्जुन ने सोचा कि अगर उन्होंने सांप को चकमा नहीं दिया तो वे गुफा में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। सूरज ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए सांप को अपनी ओर आकर्षित किया और अर्जुन ने पीछे से चुपके से गुफा में प्रवेश किया।
गुफा के अंदर बहुत अंधेरा था। अर्जुन ने अपनी टॉर्च जलाई और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। गुफा की दीवारों पर अजीब-अजीब चित्र बने हुए थे। चलते-चलते अर्जुन एक बड़े कक्ष में पहुँचा, जहाँ चारों ओर सोने के सिक्के और कीमती रत्न बिखरे हुए थे। अर्जुन ने सोचा कि उसे सूरज को बुलाना चाहिए ताकि दोनों मिलकर खज़ाना निकाल सकें।
अर्जुन ने वापस जाकर सूरज को बुलाया और दोनों ने मिलकर खज़ाना इकट्ठा करना शुरू किया। तभी गुफा के अंदर से एक रहस्यमयी आवाज़ आई, “यह खज़ाना केवल सच्चे दोस्ती और साहस के लिए है।” अर्जुन और सूरज ने उस आवाज़ को सुना और समझ गए कि उनकी सच्ची दोस्ती और साहस ने ही उन्हें इस खज़ाने तक पहुँचाया है।
दोनों ने खज़ाना गाँव में लौटाकर सभी गाँववालों के साथ बाँट लिया। गाँव में खुशियाँ मनाई गईं और अर्जुन और सूरज की दोस्ती की मिसाल और भी बढ़ गई। इस तरह, उन्होंने सच्ची दोस्ती और साहस का महत्व समझा और सभी के दिलों में अपनी जगह बना ली।