भूमिका:
समय की गहरी धार में वर्तमान के संग मिलते अतीत के सुर्ख़ लम्हे, “प्रेम की प्रतीक्षा” एक ऐसी कहानी है जो धूप और छाँह जैसे प्रतीकों के माध्यम से अटूट प्रेम की और इंतजार की गहराई को प्रदर्शित करती है।
यह कहानी देवप्रयाग के पथिक ‘विश्वास’ की है। विश्वास एक शांत स्वभाव का कामकाजी नौजवान था, जिसकी प्रतीक्षा किसी एक खास संदेश की थी जो उसके प्रेमी ‘माधवी’ से आने वाला था। माधवी और विश्वास ने कई साल पहले एक अधूरा वादा किया था, जो उनकी प्यार की यादों को हर दिन जीवंत कर देता था।
कहानी का विवरण:
विश्वास, जो देवप्रयाग की रौनकी बाजार में एक दुकान चलाता था, हर शाम उसी पुल पर खड़ा नदी की लहरों को देखा करता, जहाँ से माधवी ने कभी उसे अलविदा कहा था। उसकी प्रतीक्षा को साल दर साल बीतते गए, लेकिन माधवी का कोई संदेश नहीं आया।
तब भी विश्वास की प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आई। उसके प्रेम और श्रद्धा की कहानियाँ गाँव में मशहूर थीं, परंतु उसके दिल में एक सूनापन था, जिसे वह हर दिन अपनी पुरानी डायरी में लिखे माधवी के पत्रों को पढ़कर भरने की कोशिश करता।
वहीं दूसरी ओर, माधवी अपनी परिस्थितियों से जूझ रही थी। उसने विश्वास को जवाब भेजा था, परंतु किसी कारणवश वो संदेश विश्वास तक नहीं पहुंच पाया। माधवी भी विश्वास से मिलने का इंतज़ार कर रही थी, साथ ही उसे यकीन था कि विश्वास का प्रेम कभी कम नहीं हो सकता।
जब सालों बाद दोनों के मिलाप की घड़ी आई, गाँव की उसी पुल पर, वह दृश्य बड़ा ही अद्भुत था। माधवी के हाथों में कई सालों से लिखे उन संदेशों का गुच्छा था, जो कभी विश्वास तक नहीं पहुंचे। वहीं विश्वास की आँखों में बसी थीं, माधवी के इंतजार की सैकड़ों सूर्यास्त और सूर्योदय की प्रतिबिंबित छायाएँ।
एक-दूसरे की ओर दौड़ते हुए वे भीगे गले मिले और उनके प्रेम में पुनः वही ताजगी और गर्माहट दिखाई दी, जो कभी पहली बार उनकी आँखों में नजर आई थी।
नैतिक शिक्षा:
“प्रेम की प्रतीक्षा” हमें बताती है कि ईमानदार प्रेम कभी नहीं हारता, और कभी-कभी जीवन में प्रतीक्षा ही प्रेम के सबसे अनमोल क्षणों में से एक होती है।