ऊंचे आकाश में, एक सपना बुनता,
छोटा परिंदा, साहस से चुनता।
हौंसले की उड़ान भरता, निर्भय वह चलता,
सपनों को साकार करने, आशा का दीप जलता।।
घने जंगलों से गुज़रा, नदी को पार किया,
संघर्षों की आंधी को, उसने वार किया।
झंझावातों में भी, हर पंख उसने फैलाया,
अपने सपनों का आशियान, उसने आज बनाया।।
अब वह परिंदा, कवि की कल्पना बन गया,
उसके संघर्ष की गाथा, प्रेरणा बन गया।
हर कविता में जीवित, उसकी कहानी कहती,
दृढ़ निश्चय क्या होता, सभी को सिखा दी।।
सपने वहीं सजीव होते, जो कठिन पथ पर चलते,
सितारों को छूना है, तो अरमान दिल में पलते।
विजय की मंजिल की ओर, कवि का संदेश यही,
सपनों की शक्ति में, बसती जीवन की अभी।।