गरीब अंडेवाली
पुराने समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक गरीब महिला रहती थी जिसका नाम लीला था। लीला अपने छोटे परिवार का पालन-पोषण अकेले करती थी, उसके पास बस कुछ मुर्गियाँ थीं, जिनके अंडे बेचकर वह अपना गुजारा करती थी। लीला की मेहनत और ईमानदारी की वजह से पूरे गाँव में उसकी बहुत इज्जत थी, लेकिन वह हर रोज संघर्ष करती थी।
हर दिन सुबह-सुबह, लीला अपने गाँव के बाज़ार में ताजे अंडे बेचने जाती। उसकी मुर्गियाँ स्वस्थ और खुशहाल थीं, इसलिए उनके अंडे भी बहुत अच्छे थे। गाँव के लोग उसके अंडे बहुत पसंद करते थे। मगर, लीला को हमेशा बड़ा सपना था – वह चाहती थी कि उसके बच्चे अच्छी पढ़ाई करें और उनका भविष्य उज्ज्वल हो।
एक दिन, बाजार में लीला की मुलाकात एक पुराने जादूगर से हुई। जादूगर ने उसकी मजबूरी और ईमानदारी को देखकर उससे कहा, “लीला, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। मेरे पास एक जादुई मुर्गी है जो हर दिन सोने का अंडा देती है। क्या तुम इसे ले जाना चाहोगी?”
लीला पहले तो अचंभित हुई, लेकिन फिर उसने सोचा, “अगर यह सच है, तो मेरे और मेरे बच्चों के सभी दुख-दर्द खत्म हो सकते हैं।” उसने जादूगर की बात मानी और वह जादुई मुर्गी अपने साथ घर ले आई।
अगले दिन, जब लीला ने देखा कि मुर्गी ने सचमुच एक सोने का अंडा दिया था, उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने सोने के अंडे को बाजार में बेचा और उस पैसे से अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और घर की जरूरतें पूरी करने लगी। हर दिन मुर्गी एक सोने का अंडा देती और लीला जल्द ही सुखी और समृद्ध हो गई।
लेकिन ये खुशी बहुत समय तक टिक न सकी। लीला के पड़ोसी, जो उसकी समृद्धि से जलते थे, ने उसकी जादुई मुर्गी की सच्चाई जानने की कोशिश की। उन्होंने लीला से जादुई मुर्गी के बारे में जानने के लिए कई चालें चलीं, लेकिन लीला ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी।
परन्तु लीला के बच्चों की लालची स्वभाव ने एक और बड़ा मोड़ ले आया। बच्चों को जब यह पता चला कि मुर्गी सोने का अंडा देती है, तो उन्हें लगा कि अगर मुर्गी के पेट से सारे अंडे एक साथ निकाल लिए जाएं, तो वे और भी अमीर हो जाएंगे। उन्होंने अपनी माँ से बिना कुछ पूछे ही मुर्गी को मार दिया और सब अंडे एक साथ निकालने की कोशिश की।
लेकिन जब उन्होंने मुर्गी को मारा, तो वे बिलकुल हैरान रह गए। मुर्गी के पेट में कोई और अंडा नहीं था। बच्चों की इस बेवकूफी से, लीला का सपना फिर से चूर हो गया। उसकी अमीरी का सफर वहीं खत्म हो गया और अब उसके पास न तो सोने का अंडा रहा और न ही जादुई मुर्गी।
लीला बहुत दुखी हुई लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपने बच्चों को समझाया कि लालच बुरी बला है और हमें धैर्य और ईमानदारी से ही सब कुछ मिलता है। उसने फिर से अपने पुराने काम की ओर लौटने का फैसला किया और अपने बच्चों के साथ मेहनत करने लगी।
कुछ समय बीतने के बाद, लीला की मेहनत और ईमानदारी की वजह से उनकी स्थिति फिर से सुधरने लगी। गाँव वालों ने भी लीला की मदद की। लीला ने एक महत्वपूर्ण शिक्षा पाई – कि असली मूल्य मेहनत और ईमानदारी का है, और किसी भी प्रकार का लालच या धोखा स्थायी सुख नहीं दे सकता।
लीला की इस कहानी ने पूरे गाँव में एक महत्वपूर्ण संदेश छोड़ा। उसने सभी को यह सिखाया कि सुख-शांति और समृद्धि का रास्ता सिर्फ मेहनत, ईमानदारी और धैर्य से ही होकर गुजरता है।