काल की उस चहल-पहल भरे माहौल में, जहाँ मुंबई की सड़कें कभी खामोश नहीं होती, रहती थी एक लड़की, जिसका नाम आरजू था। आरजू, उस शहर की रौशनी में एक ख़्वाबों भरी दुनिया सजाए रखती थी। वह एक प्रतिष्ठित कॉलेज में अध्यापिका थी और उसकी जिंदगी किताबों और अपने छात्रों के बीच सिमटी हुई थी।
उसी शहर में एक युवक था, साहिल। एक महत्वाकांक्षी लेखक जो अपनी कहानियों में जीवन की अनगिनत भावनाओं को पिरोता था। साहिल और आरजू की मुलाकात एक लिटरेचर फेस्टिवल में हुई, जहाँ आरजू ने साहिल के उपन्यास पर एक बेहद प्रभावशाली भाषण दिया था।
उनकी पहली मुलाकात से ही दोनों के बीच एक अनजानी सी बेबाक़ी और गहरी समझ विकसित हो गई। दोनों के दिलों में एक दूसरे के लिए गहरी इज़्ज़त और चाहत पनपने लगी।
लेकिन, आरजू के जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जब उसके परिवार ने उसकी शादी का फ़ैसला कर दिया। आरजू, जो साहिल के प्रति अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाई थी, एक दुविधा में थी।
साहिल ने जब यह सुना तो उसे लगा की उसकी जिंदगी की कहानी का एक अध्याय बिना समाप्त हुए बंद हो रहा है। उसने आरजू से अपने दिल की बात कहने का निश्चय किया और एक बारिश की शाम, जब दोनों ने एक ही नाव से सफर किया, साहिल ने आरजू को अपने दिल की गहराईयों से निकली अनकही बातें सुनाई।
आरजू जिसने साहिल के प्रति अपनी भावनाओं को छुपाए रखा था, वो भी आखिरकार उस शाम खुलकर सामने आई। दोनों की अनकही भावनाओं का आदान-प्रदान उस शाम को मुंबई की बारिश में धुल कर सजीव हो गया।
उसके बाद, एक नई शुरुआत हुई। आरजू और साहिल ने अपने अनकहे लफ़्ज़ों को कह दिया और अपने प्रेम को सबके सामने लाने का फ़ैसला किया। वे दोनों एक नए जीवन की और बढ़े, जिसमें उनका प्रेम, उनके विश्वास और उनकी कहानियां साथ चलती रहे।
‘अनकहे लफ़्ज़: Unspoken Words’ एक ऐसी कहानी है जो हमें बताती है कि कई बार ज़िंदगी हमें दूसरा मौका देती है, और सच्चे प्रेम के लिए सही वक्त कभी देर से नहीं होता।