एक घने जंगल में चतुर नाम का एक खरगोश रहता था। चतुर बहुत ही बुद्धिमान और चालाक था। उसके शरीर पर नरम और गहरे भूरे रंग की फर थी जो जंगल की मिट्टी में आसानी से घुलमिल जाती थी। चतुर ने अपनी बुद्धिमत्ता से पूरे जंगल में एक विशेष स्थान बना रखा था।
जंगल में एक भूखा शेर भी रहता था जो हमेशा खरगोशों को पकड़ कर अपनी भूख मिटाना चाहता था। लेकिन चतुर खरगोश उस से बचने के लिए हमेशा नई-नई युक्तियाँ निकालता रहता।
एक दिन शेर ने एक चाल चली और सभी खरगोशों को मिलने की जगह पर एक जाल बिछा दिया। चतुर जब अन्य खरगोशों के साथ उस स्थल पर पहुंचा, उसने तुरंत जाल को भांप लिया और दौड़कर एक सुरक्षित स्थान पर छिप गया।
जब शेर वापस आया तो उसने देखा कि चतुर उसके जाल से बच गया है। शेर ने चतुर को आवाज देकर कहा, “तुम्हारी बुद्धिमानी तो खूब है चतुर, लेकिन इस बार तुम बच नहीं सकोगे।”
चतुर ने बहुत ही शांति से जवाब दिया, “ओ महाराज, मैं जानता हूँ कि आपकी भूख बहुत तेज़ है। लेकिन हम खरगोशों को खाकर आपको क्या मिलेगा? हम तो बहुत ही छोटे और कमजोर हैं। मैं आपको कुछ ऐसा बताता हूँ जिससे आपका पेट भर जाएगा और आपको शक्ति भी मिलेगी।”
शेर ने उत्सुकता में चतुर की बात मान ली। चतुर ने शेर को बताया कि जंगल के उस पार एक तालाब है जिसमें बहुत बड़ी और मोटी मछलियाँ हैं। शेर अगर उन्हें पकड़ ले तो उसका पेट भर जाएगा। शेर चतुर की बात में आ गया और तालाब की ओर चल दिया।
इस बीच चतुर ने अन्य खरगोशों को जाल से मुक्त किया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। जंगल के अन्य जानवर चतुर की इस सूझबूझ को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उसे एक नई ऊँचाई पर ले गए।
शेर ने जब तालाब पर पहुंचकर देखा तो मछलियाँ वास्तव में बहुत बड़ी और मोटी थीं। उसने मछलियों का शिकार करके अपना पेट भरा और चतुर की सलाह की सराहना की।
उस दिन से शेर ने खरगोशों का शिकार करना बंद कर दिया और चतुर खरगोश अपने बुद्धिमानी के लिए पूरे जंगल में विख्यात हो गया।
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि बुद्धिमत्ता और चतुराई से किसी भी भयानक स्थिति से निकला जा सकता है। साथ ही, हमें अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखते हुए संकट का सामना करना चाहिए।